जनाजे की नियत कैसे करें | janaze ki niyat kaise kade | islamichak

जनाजे की नियत कैसे करें | janaze ki niyat kaise kade | islamichak

(1). मौत की आसानी की दुआ

"अल्लाहुम्मा अ'इन्नी 'अला ग़-म-रातिल मवति व स-क-रातिल मवति"

तर्जुमा:

ऐ अल्लाह!

मौत की सख्ती और मौत की सकरात दर करने के साथ मेरी मदद करो


(2). मरने के वक्त की दुआ

"बि-अजलिंम-मुसम्मन फ़ल-तस-बिर वल-त'ह-ताबिस"

तर्जुमा: 

हर एक की अजल मुद्दत मुक़र्रर व मु'अय्यन है | पस तुम सब करो और सवाब हासिल करो |


(3). मरने के बाद की दुआ या किसी का मरने का सुने तो ये दुआ पड़े

"इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलयहि राजि ऊन"

"Inna Lillahi Wa Inna Ilayhi Raji'oona"

(English)

Indeed, we belong to ALLAH and indeed, to Him we shall return. 

तर्जुमा:

बेशक हम अल्लाह ही की मिलकियत है और बेशक हम उसी की तरफ़ लौटने वाले है


(4). जनाजे की नियत

"नियत की मैने नमाज़ ऐ जनाजा की, 4 तकबीरो के साथ

सना वास्ते अल्लाह तआला, दुरूद वास्ते हुजुर के, दुआ वास्ते हाज़िर मय्यत के पीछे इस इमाम के रुख मेरा काबा ऐ शरीफ की तरफ---अल्लाहु अकबर"


(5). सना

सुब हानकल लाहुम्मा व बिहमदिका व तबा रकस्मुकाँ व तआला अददुका "वजल्ले सनाउका" वला इलाहा गैरुक.


(6). मुर्दे को कब्र में उतारने की दुआ

"बिस्समिल्लाहि व अला मिल्लति रसुलिल्लाह"


(7). मुर्दे को मिट्टी देने की दुआ

(दोनो हाथों में मिट्टी भरकर कब्र पर डालिए)

1). पहली बारः मिन्हा ख़लकनाकुम,

2). दूसरी बारः व फीहा नुईदुकुम,

3). तीसरी बारः मिन्हा नुखरिजकुम तारतन उखरा,

तर्जुमा:

१). इसी ज़मीन से हमने तुमको पैदा किया,

२). और इसी में हम तुम्हें लौटा रहे हैं,

३). और इसी से हम तुम्हें दोबारा उठायेंगे,


(8). बालिग़ मर्द व औरत के जनाज़े की दुआ

"अल्लाहुम्मग फिर लिहय यिना व मय्यितिना व शाहिदिना व गाइबिना व सगीरिना व कबीरिना व ज़करिना व उन्साना - अल्लाहुम्मा मन अहयय तहू मिन्ना फ़अहयिही अलल इस्लाम वमन तवफ़ फयतहू मिन्ना फ़तवफ्फहू अलल ईमान"

तर्जुमा:

ऐ अल्लाह! बख़्श दे हमारे हर जिन्दा को और हमारे हर फ़ौत शुदा को और हमारे हर हाजिर को और हमारे हर ग़ाइब को और हमारे हर छोटे को और हमारे हर बड़े को और हमारे हर मर्द को और हमारी हर औरत को। इलाही! तू हम में से जिस को • जिन्दा रखे तो उस को इस्लाम पर जिन्दा रख और हम में से जिस को मौत दे तो उस को ईमान पर मौत दे।


(9). मय्यत नाबालिग लड़के की हो तो

"अल्लाहुम्मज अल्हा लना फरतव वज अल्हा लना अजरव व जुखरव वज अल्हा लना शाफ़िअब व मुशफ फ़अह"


(10).मय्यत नाबालिग लड़की की हो तो

"अल्लाहुम्मज अजील्हा लना फरतव व जीअल्हा लना अजरव व जुखरव वज अल्हा लना शाफ़िअव व मुशफ फ़अह"

तर्जुमा:

इलाही! इस (लड़की) को हमारे लिये आगे पहुंच कर सामान करने वाली बना दे और इस को हमारे लिये अज्र (का मूजिब) और वक़्त पर काम आने वाली बना दे और इस को हमारी सिफ़ारिश करने वाली बना दे और वो जिस की सिफ़ारिश मन्ज़ूर हो जाए।

Janaze ki niyat kaise kade

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