MUHARRAM SHAYARI 2021 | 14 MUHARRAM SHER
- न हिला पाया वो रब की मैहर को, भले जीत गया वो कायर जंग, पर जो मौला के दर पर बेखोफ शहीद हुआ, वही था असली और सच्चा पैगम्बर.
- ख़ुदा का जिस पर रहमत हो वो हुसैन होता है, जो इन्साफ और सत्य के लड़ जाए वो हुसैन होता है.
- सिर गैर के आगे ना झुकाने वाला और नेजे पे भी कुरान सुनाने वाला इस्लाम से क्या पूछते हो कौन हुसैन हुसैन है इस्लाम को इस्लाम बनाने वाला
- यूँ ही नहीं जहाँ में चर्चा हुसैन का, कुछ देख के हुआ था ज़माना हुसैन का, सर दे के जो जहाँ की हुकूमत खरीद ले, महंगा पड़ा यज़ीद को सौदा हुसैन का.
- अपनी तक़दीर जगाते है तेरे मातम से खून की राह बिछाते हैं तेरे मातम से अपने इज़हार-ए-अकीदत का सिलसिला ये हम नया साल मनाते है तेरे मातम से
- क्या जलवा कर्बला में दिखाया हुसैन ने सजदे में जा कर सिर कटाया हुसैन ने नेजे पे सिर था और जुबान पे आयते कुरान इस तरह सुनाया हुसैन ने
- दश्त-ए-बाला को अर्थ का जीना बना दिया जंगल को मुहम्मद का मदीना बना दिया हरजरे का नज़फ का नगीना बना दिया. हुसैन तुमने मरने को जीना बना दिया
- पानी का तलब हो तो एक काम किया कर कर्बला के नाम पर एक जाम पिया कर दी मुझको हुसैन इब्न अली ने ये नसीहत जालिम हो मकाबिल तो मेरा नाम लिया कर
- करीब अल्लाह के आओ तो कोई बात बने, लहू जो बह गया ईमान फिर से जगाओ तो कोई बात बने,कर्बला में,उसके मकसद को समझो तो कोई बात बने
- कर्बला की शहादत इस्लाम बना गई खून तो बहा था लेकिन कुर्बानी हौसलों की उड़ान दिखा गई
- जन्नत की आरजू में कहा जा रहे लोग, जन्नत तो कर्बला में खरीदी हुसैन ने दुनिया-ओ-आखरत में रहना हो चैन सूकून से तो जीना अली से सीखे और मरना हुसैन से
- अपनी तकदीर जगाते हैं मातम से खून की राह बिछाते हैं तेरे मातम से अपने इज़हार-ए-अकीदत का सलीका ये है हम नया साल मनाते हैं तेरे मातम से
- जब भी कभी ज़मीर, का सौदा हो, कायम रहो दोस्तों, हुसैन के इंकार की, तरह |
- अपनी तक़दीर जगाते है। तेरे मातम से, खून की राह बिछाते हैं ढेरे मातस से, अपने इज़हार-ए-अकीदत का सिलसिला ये है, हम नया साल मनाते है तेरे मातम से
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Muharram Shayari 2021