जानवर को कैसे लिटाये कुछ मालूमात
मालूमात: जानवर को इस तरह से करे की बाएं पहलू पर इस तरह लिटाये की किब्ले की तरफ जानवर का मुंह हो और दाहिना पांव उसके पहलू पर रख कर यह दुआ पढ़े और जीबा करें
कुर्बानी की दुआ
इन्नी वज्जहतु वजहि य लिल्लजी फ त रस्मावाति वल अर्दा हनीफॅव व् मा अ न मिनल मुशरिकीन इन न सलाती व नुसुकी मह्या य व ममाती लिल्लाहि रब्बिल आलमीन ला शरी क लहू व बि जालि क उमिरतु व अ न मिनल मुस्लिमीन • अल्लाहुम्मा लक व मिन क बिस्मिल्लाहि अल्लाहु अकबर
तर्जुमा
मैं उस तरफ रुख करता हुं जिसने जिसने जमीन और आसमान को पैदा किया में से नहीं हूं बिला शुभा मेरी नमाज और मेरी कुर्बानी और मेरा जीना और मेरा मरना सब। जिस्का कोई शारिक नहीं है और मुझे इसे का हुकम दिया गया है और मैं सबसे पहले इस्लाम लाने वालो में से एह अल्लाह ये कुर्बानी तेरी ही अतः से है और तेरी ही रजा के लिए है, मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की तरफ से, (अल्लाह के नाम के साथ और अल्लाह सबसे बड़ा है)
कह कर जिबह करे फिर यह दुआ पढ़े
ये दुआ हैं :)अल्लाहुम्मा तकब्बल मिन्नी कमा तकब्बलता मिन खलीलिक इबराहीमा अलैहिस्सलामु व हबीबिक मुहम्मदिन सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम)
कुरबानी का गोस्त कैसे बाटना चाहिए
जिस जानवर के एक से ज्यादा हिस्से दार हो तो गोश्त को वज़न कर के बाटा जाए, अंदाज से नहीं, उसके बाद अपनी कुर्बानी के गोश्त का 3 हिसा करे, एक हिसा अपने घर वालों के लिए, दूसरा अपने दोस्तों या रिश्तेदारो और तिसरा हिसा गैरीब मिस्कीन में बांट दे।
कुरबानी का जानवर कैसा होना चाहिए
क़ुरबानी का जानवर तन्दरुस्त और तवाना होना लाज़मी है।
क़ुरबानी के जानवर को कुरबानी करने से पहले खिला पिला लें, जानवर भूका प्यासा ज़िवह न करें, जानवर को किल्ला रुख़ बाएँ पहलू लिवकर अपना दाहिना पाँव उसके सीने पर रखें और दुआ और तेज छूरी से जल्द जीबाह करें
ईद-उल-अज़हा की सुन्नतें
1. सुबह को जल्दी उठे
2. शरियत की हद में रहकर अपने आप को संवारना
3. मिसवाक करना
4. गुस्ल करना
5. साफ अच्छा कपड़ा पहनना
6. खुशबू लगाना
7. अगर कोई उर्ज ना हो तो ईद की नमाज ईद गाह में पड़े
8. नमाजे ईद के लिए पैदल जाना
9. एक रस्ते जाना दुसरे रस्ते से आना
10. ईद के बाद कुरबानी का गोस्त खाए
11. नमाजे ईद के लिए जाते हुऐ रास्ते में तकबीरे तशरीक बुलंद आवाज से पड़ते जाएं
कुर्बानी की हिदायत
#क्या कुर्बानी के जानवर को खरीदे वक्त भाऊ-ताऊ (सौदेबाजी) कर सकते हैं.
(1) हां कुर्बानी के जानवार को खरीदे वक्त भाऊ-ताऊ (सौदेबाजी) कर सकते हैं। इसमे कोई हर्ज़ नहीं है।
#अगर किसी आदमी के पास सदके का माल जमा है, तो क्या हम से मरहुमीन के नाम की कुर्बानी कर सकता है क्या.
(2) हां मरहुमीन के नाम से तो कुर्बानी कर सकता है, अल-बट्टा इस्का ख्याल रखा के ऐसे मरहूम के नाम से कुर्बानी ना करें, जो सदके का माल नहीं ले सकते हैं, और अपने नाम से भी कुर्बानी नहीं कर सकता है.. मसला अगर न समझ आए तो किसी मुफ्ती से पूछ लें।
#क्या कुर्बानी का जनवर वजान कर के लेना जायज है.
(3) हां कुर्बानी के जानवर को वजन से भी खरीद कर ले सकते हैं इसमे कोई हरज नहीं है।
मीठी बातें
मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ईदे कुरबान साल में सिर्फ एक बार तशरीफ़ लाती है, बिला शुबा येह दूरियां मिटाने और खुशियां फैलाने का इन्तिहाई अहम मौका होता है। शरीअते मुतहहरा ने जिस तरह हमें आम | हालात में रिश्तेदारों, हमसायों, फकीरों और मिस्किनों की खैर ख़्वाही करने, खुशी, गमी के मौका पर इन की दिलजूई करने और मुश्किल वक्त में इन की मदद करने की तरगीब दिलाई है, इसी तरह ईदे कुरबान के पुर मुसर्रत लम्हात में भी इन के साथ खैर ख्वाही करने और इन के लिये कुरबानी के गोश्त में हिस्सा मुक़र्रर करने को मुस्तहब (या'नी सवाब का काम) करार दिया है ।