Sakina Jan Hindi Lyrics Noha Farhan Ali Wari 2021| सकीना जान नोहा लिरिक्स फरहान अली वारिस

Sakina Jan Hindi Lyrics Noha Farhan Ali Wari 2021| सकीना जान नोहा लिरिक्स फरहान अली वारिस

 

Sakina Jan Lyrics Hindi Noha Farhan Ali Waris 2021

सकीना जान

सहे मजलूम कहते थे सकीना से ए बीबी

हमारी और तुम्हारी दस्ता हैं एक जैसी

जान

सकीना जान...

बाबा कुर्बान

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तेरी मेरी मुसीबत है सकीना एक ही जैसी

छुरी गर्दन पे मेरे थी तेरी गर्दन पे है रस्सी

मै नेजे पे चला हूँ और तू काटो पे है बीबी

मेरे सरसे लहू जारी तेरे कानो से खून जारी

तमाचे तेरे चहरे पर लगाये जा रहे हैं

यहाँ नेजे पर हम पत्थर ही खाए जा रहे हैं

जान

सकीना जान...

बाबा कुर्बान

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लईने खाच कर छीने जो तुझसे बालियाँ तेरी

हुआ कानो से खून जारी सदा अम्मू को तूने दी

मेरी ग़ुरबत तेरे जैसी मेरी हालत तेरे जैसी

अन्घूति के लिए काटी सितम्गर ने मेरी अंगुली

यहाँ बेटी तुझे नाखो से गिरवाया गया है

मेरे लासे पे वहां घोडो को दौराया गया है

जान

सकीना जान...

बाबा कुर्बान

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तू चादर को तरसती थी कफ़न को मै तरसता था

तेरी चादर बनी मट्टी बनी मट्टी कफ़न मेरा  

सीना से तेरे नापो का बड़ा था फासला दुखिया

तू बाबा को बुलाती थी बुलाते थे तुझे बाबा

अजीयत का सफ़र था दस्त से खूफे के दर तक

तरपते बाप बेटी आ गए सिये के दर तक  

जान

सकीना जान...

बाबा कुर्बान

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सितम तुझपर भी ढाते है सितम मुझपर भी ढाते है

यातिमा तुझको कहते है मुझको बागी बुलाते हैं

सीना के पास से जालिम जो नाके ले जाते हैं

तुझे भी आजमाते हैं मुझे भी आजमाते हैं

बहुत नजदीक होकर भी अजब सी दूरिय हैं

बड़ी मजबुरीयाँ हैं बड़ी मजबुरीयाँ हैं

जान

सकीना जान...

बाबा कुर्बान

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तमाचे तू ने खाये हैं पत्थर खाये हैं मैंने भी

तेरे रुखसार हैं नीले मेरा चहरा हुआ जख्मी

कई दिन का हूँ मै प्यासा कई दिन की है तू प्यासी

गला हैं खुश्क तेरा भी रगे मेरी भी हैं शूखी

हमारे दर्द को समझे कोई ए कास बीबी

मै लासा हो के जिन्दा हूँ तू जिन्दा लास बीवी

जान

सकीना जान...

बाबा कुर्बान

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असीरे जुल्म है तु भी असीरे जुल्म हूँ मै भी

मै हूँ तनहा सरे मकतल तू है जिन्दान में कैदी

यहाँ जिन्दान की गर्मी वहां मैदान की गर्मी

यहाँ सोई नही तू भी वहां सोया नही मै भी

कभी तू चैन से सीने पे सो जाती थी मेरे

मेरा सर आज है ए लाडली सीने पे तेरे

जान

सकीना जान...

बाबा कुर्बान

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गए फरहान ओ मजहर ये मंजर शाम में देखा

कहाँ बेटी की है तुर्बत और कहाँ बाबा का है रौजा

हर जाये लरज जाये अगर ये सोच ले ये लुमला

की शामो कर्बला के दर्मिया हैं फासला कितना

सकीना और बाबा में जुदाई आज भी है

लबे सब्बीर पे लोगो दुवाही आज भी है

जान

सकीना जान...

बाबा कुर्बान

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