Farhan Ali Waris | Rehai Qaid Se | 2020/1442 | Hindi Lyrics Noha | Islamichak

Farhan Ali Waris | Rehai Qaid Se | 2020/1442 | Hindi Lyrics Noha | Islamichak

Rehai Qaid Se Jainnab Ko Jab Mili Hogi Noha 2020/1442

है है ज़ैनब है है ज़ैनब

है है ज़ैनब है है ज़ैनब

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किआ बीत गई होगी ज़ैनब के दिल पे लोगो

किआ बीत गई होगी ज़ैनब के दिल पे लोगो

ज़ैनब के दिल पे लोगो

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रिहाई क़ैद से ज़ैनब को जब मिली होगी

रिहाई क़ैद से ज़ैनब को जब मिली होगी

 

बीना हुसैन के

बीना हुसैन के

वो कैसे घर गई होगी

 

रिहाई क़ैद से ज़ैनब को जब मिली होगी

रिहाई क़ैद से ज़ैनब को जब मिली होगी

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अय नाना तेरे नवासे को तेरी उम्मत ने

दफन किया है या उरयाहे बन में चोर दिया

हुसैन या हुसैन

हुसैन या हुसैन

हुसैन बादशाह

हुसैन शहंशाह

हुसैन दीन है

हुसैन दीन पनाह

शहीद-ए-करबला

ज़बीह-ए-नैनवा

है तेरा घर लुटा

बे जुरम-ओ-बे ख़ता

हुसैन  या हुसैन या हुसैन या हुसैन

 

बतूल ज़ादी यही बात सोचती होगी

 

रिहाई क़ैद से ज़ैनब को जब मिली होगी

रिहाई क़ैद से ज़ैनब को जब मिली होगी

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पड़े थे लाश-ए-जवानो के

दश्त-ए-करबल में

पड़ा था गाजी का लाशा बघैर शानो के

 

अब्बास है अब्बास

अब्बास है अब्बास

 

अब्बास बावफा

अब्बास बसाफा

अली  की गौद का

है तू पाला हुआ

अब्बास मोअज्जा

है तू बतूल का

अब्बास एक नया

है पेशा मरहला

है ज़ैनब बे रिदा

सफर है शाम का

है शामी बे हया

वा मुसीबता

अब्बास है अब्बास है अब्बास है अब्बास

 

जवान भाई जय शानो को धुंढती होगी

 

रिहाई क़ैद से ज़ैनब को जब मिली होगी

रिहाई क़ैद से ज़ैनब को जब मिली होगी

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लुटेईं थी दश्त में जो चदरेन सैदानियो की

लुटेई आबिद-ए-बीमार को लाईनो ने

 

सज्जाद है सज्जाद

सज्जाद है सज्जाद

बीमार-ए-कर्बला

असीर-ए-बे खता

तुम्हारा काफला

तो था लुटा हुआ

पहेन के बैरिया

जिधर भी तू गया

वो रास्ता भी था

लहु लहू हुआ

न जाने किस तरह

ये तूने सह लिया वो ज़ैनब-ए-हज़ीन

का सर खुला हुआ

फिर उसके बाद भी

तू जब तलक जिया

तुम्हारी आंख से

सदा है खून बहा

सज्जाद है सज्जाद है सज्जाद है सज्जाद

 

अली की लाडली हसरत से देखती होगी

 

रिहाई क़ैद से ज़ैनब को जब मिली होगी

रिहाई क़ैद से ज़ैनब को जब मिली होगी

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वो चार महीने के बच्चे को तीर मारा था

वो शीर खुवार का सर भी सीना पे आया था

 

सघीर है सघीर

सघीर है सघीर

सघीर-ए-कर्बला

है कुश्त-ए-जफा

किसी की दुश्मनी

है तुम से क्यूं भला

तुम्हारा सीन भी

नहीं है जंग का

क़ज़ा का तीर है

बदस्त-ए-हुर्मला

तुम्हारा फूल से

भी नर्म है गला

रबाब किस तरह

करेगा हौसला

खुदारा हौसला

हुसैन पर येही

तो वक्त है कारा

लहू सघीर का

है मुहं पे मल लिया

सघीर है सघीर है सघी है सघीर

 

बतूल लेहद में मुन्ह अपना पीटती होगी

रिहाई क़ैद से ज़ैनब को जब मिली होगी

रिहाई क़ैद से ज़ैनब को जब मिली होगी

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गया जो काफला मकतल मैं

आल-ए-अहमद का

वीरान दश्त में हर बीबी अपने प्यारे को

 

जवान हाय जवान

जवान हाय जवान

 

शबीह-ए-मुस्तफा

वज़ीर-ए-मुर्तज़ा

अठारा साल से

तू बुरखे में पला

फुफी ने नाज से

तुझे जवान किया

खुदा के वास्ते  

अभी न रन में जा

हुसैन किस तरह

ये देख पायेगा

जवान का जगर

सेना का तूतना

बहन थी मुंतज़िर

के लुट के तू आ

वो अब भी देखती

है तेरा रास्ता

जवान है जवान है जवान है जवान

 

तरपती धूप में रो रो के ढूँढतीं होगी

 

रिहाई क़ैद से ज़ैनब को जब मिली होगी

रिहाई क़ैद से ज़ैनब को जब मिली होगी

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सुना जो होगा सकीना ने क़बर में अख्तर

के सब चले हैं मुझे छोर के मदीने

मासूमा कबर में तन्हा ही रो रही होगी

 

रिहाई क़ैद से ज़ैनब को जब मिली होगी

रिहाई क़ैद से ज़ैनब को जब मिली होगी

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Rahai Qaid Se

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