Ayyam-E-Hussain Chand Muharram Ka Hua Hai Ayan
हुसैन या हुसैन हुसैन
अय्यम-ए-हुसैन ...
अय्यम-ए-हुसैन ...
चांद मोहर्रम का हुआ है अयां
अय्यम-ए-हुसैन
काले लिबासो मैं है पीरो जवान
अय्यम-ए-हुसैन ...
चांद मोहर्रम का हुआ है अयां
हुसैन , हुसैन
काले लिबासो मैं है पीरो जवान
हुसैन, हुसैन
घर में अजा खाना सजाती है मां
हां ये मुहर्रम की हैं तयरिया
ये बरगाह ये मस्जिदे ये मजलिसे इबादतैन
हैं बोल बाला आज भी हुसैन तेरी जीत का
दिल में हुसैन हुसैन
जान में हुसैन हुसैन
अय्यम-ए-हुसैन ...
सजा दवे गे अलम
बिछा दिया है फरशे घम
करम है बीबी सैयदा
का घर मैं अगई कदम
नबी भी है
अली भी है
हसन भी है
हुसैन भी हैं
हां पुरसा लेने आ गए हैं हम से आल-ए-मुस्तफा
दिल में हुसैन हुसैन
जान में हुसैन हुसैन
अय्यम-ए-हुसैन ...
है विला अजा का सिलसिला मेरा
हलके मातम है इलाक़ा मेरा
ना कभी हुसैन को बुलाओंगा
फातिमा ज़हरा से है वादा मेरा
विलायते अली रहे
अज़ा रहे हुसैन की
हान मकसद-ए-हुसैन मकसद-ए-हयात है मेरा
दिल में हुसैन हुसैन
जान में हुसैन हुसैन
अय्यम-ए-हुसैन ...
मजलिस-ए-अज़ा जुलुस-ओ-ताज़िये
झूले जुलजनाह अलम के सिलसिले
जा बाजा हुसैन की सबील है
मातमी चले हैं हलका बांध के
गली गली नगर नगर
सबी हैं आजिम-ए-सफर
रवान दावान है कर्बला की सम्त कितने कफ़ले
दिल में हुसैन हुसैन
जान में हुसैन हुसैन
अय्यम-ए-हुसैन ...
या रब मेरी सोई हुई तकदीर जगा दे
आंखें मुझे दी है तो कर्बला भी दीखा दे
इस साल अरबीन पे पेडल करुन सफर या रब मुझे हुसैन का जव्वार बना दे
किआ हुआ जो मैं बहुत गरीब हुन
अपने मोला के तो मैं क़रीब हुन
साल भर नमक से रोटी खाऊंगा
फिर भी कर्बला जरूर जाओंगा
वो दिन कभी तो आया
वो करबला बुलाए गा
हुसैन अपने आशिको का दिल नहीं है तोड़ता
दिल में हुसैन हुसैन
जान मे हुसैन हुसैन
अय्यम-ए-हुसैन ...
करोड़ों लोग तेरे इश्क में सफर पे चल दिए
नजफ से कर्बला की सम्त यह पैयदा काफ़ले
कदम कदम लिऐ अलम
सफर में हैं ये एहल-ए गम
निगाह सोय कर्बला लबो पे सब के इक सदा
दिल में हुसैन हुसैन
जान मे हुसैन हुसैन
अय्यम-ए-हुसैन ...
जहां जहां उठी नजर हुसैन ही हुसैन है
गली गली नगर नगर हुसैन ही हुसैन है
हां देख लो करोड़ों सर हुसैन ही हुसैन है
ज़मीन से देखो अर्श पर हुसैन ही हुसैन है
हुसैन का रहबर हुसैन ही हुसैन है
जहान में हर ज़बान पर हुसैन ही हुसैन है
हुसैन ही हुसैन है
हुसैन ,हुसैन
ग़म-ए-हुसैन में जो अश्कबार होता है
किसी भी मुल्क से हो उसे प्यार होता है
ना रंग-ओ-नसल ना मज़हब की कोई क़ैद यहां
सभी का जायरीन में शुमार होता है
मरहब चेहलुम-ए-शब्बीर मनाने वाले
गोशय गोशय से हैं चले आते हैं आने वाले
मेहव-ए-हैरात हैम उम्मैया के घराने वाले
कह रहे हैं या जमाने से जमाने: वाले जमाने वाले
सर्त-ए-मजहब नहीं जिस में वो इदारा है हुसैन
आज हर क़ौम ये कहती है हमारा है हुसैन
हमारा है हुसैन
हमारा है हुसैन
दिल में हुसैन हुसैन
जान मे हुसैन हुसैन
अय्यम-ए-हुसैन ...
हुसैन तुने मसलको के फैसले मिटा दिए
अलम किसी ने और किसी ने ताजिये सजा दिए
जो कलमो गो नहीं है वो भी तेरे डर पे आ गये
हर आदमी के वास्ते है तेरा दर खुला हुआ
दिल में हुसैन हुसैन
जान मे हुसैन हुसैन
अय्यम-ए-हुसैन ...
हुसैन
हुसैन
तेरे चेहलूम के लिए तेरे मातम के लिए
तेरे चेहलूम के लिए तेरे मातम के लिए
आगे करबोबला
ये तेरे एहल-ए अजा
बुलंद हाथ फजाओ में और लबो पे बुका
हुसैन ,हुसैन
मातमी की है सदा
राह-ए-अय्यामें-हुसैन
करबल ए सदा
राह-ए-अयाम-ए-हुसैन
चाहता है ये खुदा
राह-ए-अयाम-ए-हुसैन
सैयदा की है दुआ
राह-ए-अय्यामें-हुसैन
गिर के ये मजहर-ओ-फरहान सजदा में कहा
हुसैन ,हुसैन
दिल में हुसैन हुसैन
जान मे हुसैन हुसैन
अय्यम-ए-हुसैन ...
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