Noha Imam Hussain Ashura | Aye Qateel E Karbala | Mohammad Raza Gopalpuri | Noha 2020

Noha Imam Hussain Ashura | Aye Qateel E Karbala | Mohammad Raza Gopalpuri | Noha 2020

Aye Qateel E Karbala Mohammad Raza Gopalpuri Noha Lyrics Hindi

ए कातिल कर्बला ,ए कातिल कर्बला ...2

लासे मजलूम पे दी फातिमा जहरा की सदा

असर ए अशूर को मुझ पर ये अजब वक्त पड़ा

चीखती रह गई में खंजर ए ज़ालिम न रुका


शिम्र ने सर तेरा गोदी में मेरी काट लिया 

पंजेतन का खतीमा ज़ालिमों ने कर दिया

किस की कहा गी नज़र-घर मेरा उजड़ गया


ऐ क़तील ए कर्बला, ऐ क़तील ए कर्बला...2

चकियां पीस के पाला था तुझे फाकून में

छाले पद जाते थे ऐ लाल मेरे हाथों में

गोद में लेके टहलती थी तुझे रातों में

काँटे आने ना दिए मैंने तेरी राहों में 

आज तीरों से तेरा जिस्म छल्ली होंगया

तुझ पे दुखिया मां फिदा, ऐ शहीद ए नैनवा


ऐ क़तील ए कर्बला, ऐ क़तील ए कर्बला...2


याद है ज़ेरे कफन अपना वो सोना बेटा

और तेरा हीचक्कियां ले ले के वो रोना बेटा।

अपना सर पीटना, मुंह अशकों से धोना बेटा

मेरी खामोशी पे हेयरत ​​ज़दा होना बेटा

कितना दिल खरास था तेरा गिर्या ओ बुका

लखत-ए-दिल जानता भी, मेरा हिल के रह गया 


ऐ क़तील ए कर्बला, ऐ क़तील ए कर्बला...2


तुझपे सो जाने के थी कुर्बान हमेसा मादर

बाद मरने के भी ज़िद्द की तेरी पूरी दिलबर

आ गए तेरे लिए हाथ कफन से बाहर 

थपकियां दे के सुलाने लगी में सीने पर

जिस्म नाज़नीन तेरा अब है खाक पर पड़ा

बहुऐं बेटियां मेरी, हो रही हैं बे-रिदा


ऐ क़तील ए कर्बला, ऐ क़तील ए कर्बला..2


इस कठिन वक्त को क्यू कर में गुजारूं प्यारे

तन्हा मरकद में तुझे कैसे उतारून प्यारे

कोई बाकी न रहा किसको पुकारू प्यारे

बे कफन छोङ के किस तरह सिधारूं प्यारे

कैसे चैन दूं तुझे, दुखिया मां के महे लक़ा

मैं ग़रीब हो गई, ऐ ग़रीब ए नैनावा


ऐ क़तील ए कर्बला, ऐ क़तील ए कर्बला...2


आग खैमो'न में लगाते हैं लाए हैं हस हस कर

घाश के आलम में पड़ा है मेरा आबिद मुज्तर

कर रहे हैं तेरी बहनो को आदु नंगे सर 

कैसे सादात की जाकर में बचाऊं चादर

बच्चे बच्चे की जुबां पर है अब चाचा चाचा

और सकीना ढूंढती फिर रही है जा-बजा


ऐ क़तील ए कर्बला ,ऐ क़तील ए कर्बला ...2


दोर्टे बच्चों पे दौराते हैं घोडे अदा

यूं भी देते हैं यतीमी का जहान में पुरसा 

बीस से ज्यादा है बच्चे जिन्हे पमाल किया

इस तरह मारा के लाशो'न को तड़पने न दिया 

सुर्ख दश्त-ए-नैनवा, खून से उनके हो गया

बे-बसी पे रोती है, देख आले- मुस्तफा


ऐ क़तील ए कर्बला, ऐ क़तील ए कर्बला...2


सुन के नोहा तेरा शमशाद मलक रोते हैं

ये जमींन वाले हैं क्या अहले फलक रोते हैं

देख कर दिल में गम ए शेह की झलक रोते हैं

गम ही ऐसा है के खुद संग तलक रोते हैं

क्यू ना रोये'एन मुस्तफ़ा, क्यू ना रोये'एन मुर्तज़ा

चौदा सदियों बाद भी  रो रही हैं सैयदा


ऐ क़तील ए कर्बला, ऐ क़तील ए कर्बला...2

Mohammad Raza Gopalpuri

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