तरावीह क्या हैं सुन्नत, फर्ज, या वाजिब जानने के लिए पड़े

तरावीह क्या हैं सुन्नत, फर्ज, या वाजिब जानने के लिए पड़े

तरावीह सुन्नत है की फर्ज, या वाजिब नहीं मालूम तो जानले अहम मसला 👇

तर्जुमा के साथ जरूर पढ़ें...

(सना) सुब्हा-न-कल्ला हुम्मा-व बि-हमदिका व तबा-रकस्-मुका व तआला जद्दुका व ला इलाहा गैरूका,

तर्जुमा: ऐ अल्लाह! तू पाक है और सब ता अ-रीफ़ तेरे ही लिए है और तेरा नाम बा-बरकत है और तेरी शान बुलन्द है और तेरे सिवा कोई मा' अ-बूद नहीं।

(रुकु से जब उठते हैं)

समिअल्लाहु लिमन हमिदा, रब्बना व लकल हम्द,

तर्जुमा: अल्लाह ने उसकी सुन ली जिसने उसकी तारीफ़ की, ऐ मेरे रब तमाम तारीफे तेरे ही लिए हैं।

(रुकु) सुब्हान रब्बियल अजीम,

तर्जुमा: पाक है मेरा रब अजमत वाला।

(सुजूत), सजदा सुब्हान रब्बियल आला,

तर्जुमा: पाक है मेरा रब बड़ी सान ओ वाला।

(अत्तहियातु) अत्तहियातु लिल्लाहि वस्सलावातु वत्तैयिबातु अस्सलामु अलैका अय्युहन नबिय्यु व रहमतुल्लाही व बरकातुहू अस्सलामु अलैना व अला इबादिल्लाहिस्सालिहीन' अशहदु अल्ला- इलाहा इल्ललाहु व अशहदु अन्ना मुहम्मदन अब्दुहू व रसूलुहु,

तर्जुमा: सारे सलाम अल्लाह के लिए है, और सभी (नमाजे) और भलाईयाँ। अमन हो आप पर ऐ नबी, और अल्लाह की रहमतें और उनकी बरकतें। अमन हो हम पर और अल्लाह के नेक इबादतगुजार बंदों पर मैं गवाही देता या देती हूँ कि अल्लाह के सिवा कोई भी इबादत के लायक नही, और मैं गवाही देता या देती हूँ कि मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) उनके बंदे ओर उनके रसूल (पैगंबर) है।

(दारूदे इब्राहिम) अल्लाहुम्मा सल्लि 'अला मुहम्मदीन व' अला' आलि मुहम्मदीन, कमा सल्लयता 'अला' इब्राहीमा व 'अला' आली 'इब्राहीमा, इन्नका हमीदुन मजीद। अल्लाहुम्मा बारिक 'अला मुहम्मदीन व अला 'आली मुहम्मदीन, कमा बारकता' अला 'इब्राहीमा व' अला' आली 'इब्राहीमा,' इन्नाका हमीदुन मजीद,

तर्जुमा: ऐ अल्लाह, मुहम्मद पर और मुहम्मद के आल (खानदान) पर अपना फज़ल व करम फरमा, जैसा कि आपने इब्राहिम पर और इब्राहिम के आल (खानदान) पर अपना फज़ल व करम फरमाया, बेशक आप काबिले तारीफ हैं, सबसे शानदार हैं। ऐ अल्लाह, मुहम्मद पर और मुहम्मद के आल (खानदान) पर बरकत नाजिल फरमा जैसा कि आपने इब्राहिम और इब्राहिम के आल (खानदान) पर बरकत नाजिल फरमाई, बेशक आप काबिले तारीफ हैं, सबसे शानदार हैं।

(दुवा ए मशूरा) अल्लाहुम्मा इन्नी ज़लमतू नफ़्सी ज़ुलमन कसीरा वला यग़फिरुज़-ज़ुनूबा इल्ला अनता फग़फिरली मग़ फि-र-तम्मिन इनदिका वर हमनी इन्नका अनतल ग़फ़रुर्र रहीम,

तर्जुमा: ए अल्लाह हमने अपनी जान पर बहुत जुल्म किया है और गुनाहों को तेरे सिवा कोई माफ नहीं कर सकता हमारी मग फिरत फरमा ऐसे मग फिरत जो तेरे पास से हो और हम पर रहम कर बेशक तू बड़ा मग फिरत करने वाला और रहम करने वाला है।

(नमाज के बाद की दुआ) अल्लाहुम्मा अन्तस सलाम वा मिनकस-सलाम. तबारकता या ज़ल-जलाली वल-इकराम,

तर्जुमा: या अल्लाह तू ही अस-सलाम है और सलामती तेरी ही तरफ से है, तू बरकत वाला है, एह जलाल वाले और ईज्ज़त बख्शने वाले।

(तरावीह की नियत) नियत की मैंने दो रकात नमाज (सुन्नत) तरावीह , अल्लाह ताला के वास्ते, वक्त ईशा, पीछे इस इमाम के, मुंह मेरा काबा शरीफ की तरफ, अल्लाह हु अकबर, (फिर सना पड़े)

(तरावीह की दुवा) सुबहाना ज़िल मुल्कि वल मलकूत, सुब्हान ज़िल इज्ज़ति, वल अज्मति, वल हैबति, वल क़ुदरति, वल किबरियाइ, वल जबरूत सुब्हानल मलिकिल हय्यिल लज़ी, ला यनामु वला यमूतु, सुबबूहुन कुद्दूसून, रब्बुना व रब्बुल मलाइकति वर रूह अल्लाहुम्मा अजिरना मिनन नार, या मुजीरू, या मुजीरू, या मुजीर

तर्जुमा: पाक है वो अल्लाह जो मुल्क और बादशाहत वाला है, पाक है वो अल्लाह जो इज्ज़त वाला, और अज़मत वाला, और हैबत वाला, और कुदरत वाला, और बड़ाई वाला, और सतवत वाला पाक है वो अल्लाह जो बादशाह है, जिंदा रहने वाला कि न उसके लिए नींद है और न मौत है, वो बे इन्तेहा पाक है और बेइंतेहा मुक़द्दस है, हमारा परवरदिगार फरिश्तों और रूह का परवरदिगार है ए अल्लाह हमें आग से बचाना ए बचाने वाले, ए बचाने वाले, ए बचाने वाल।

तरावीह क्या हैं

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