अत्तैयातो पड़ने में ऊँगली क्यू उठाते हैं
आप लोग को पता होगा जब हम नमाज पड़ते हैं तो अत्तैयातो जरूर पड़ते हैं और अत्तैयातो में एक कलमा आता है अशसहद्वन्ना लाईलाहइल्लाह वा अशसहद्वन्ना मोहम्मदन अब्दहु व् रसूलावूह जब हम अशसहद्वन्ना लाईलाहइल्लाह कहते हैं तो हम अपनी ऊँगली उठाते है तो उसका मतलब ये है (मैं गवाही देता हूँ की अल्लाह के सिवा कोई माबूद नही इसको हम ऊँगली उठा कर बताते है कि अल्लाह अकेला उसका कोई भी सरीक नही है इसके आगे का ट्रांसलेट करते है तो हजरत मोहम्मद(स.अ.) मुस्तफा अल्लाह के सच्चे रसूल हैं|
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उंगलियो पर नमाज़ के बाद क्या पड़ते हैं लोग
आप लोग देखते होंगे की कुछ लोग नमाज़ के बाद ऊँगली पर तस्बी पड़ते है वो बहुत ही खूबसूरत और बहुत छोटी सी तस्बी है जिसके बारे में हदीसे पाक में भी बहुत सरायत के साथ जिक्र किया गया है और आप लोग भी उस तस्बी को पड़ लिया करें उस तस्ब्बीख के बारे में मेरा आका रसूलल्लाह (स.अ.) ने इरसाद फ़रमाया जो सख्स 33 बार सुभ्हानल्लाह 33 मर्तबा अल्हम्दुलिल्लाह और 34 मर्तबा अल्लाहुक्बर हर नमाज के बाद पड़ता है तो उसको ओहद पहाड़ सोना खैरात करने का सवाब मिलेगा इस तस्बीक को तस्बीके फातिमा भी कहते हैं वो तस्बीक यही है 33 बार सुभ्हानल्लाह 33 मर्तबा अल्हम्दुलिल्लाह और 34 मर्तबा अल्लाहुक्बर हर हर नमाज के बाद अपनी उँगलियों पर पड़ लिया करें सवाल ये होता है की ये उँगलियों पर ही क्यू पड़ा जाता है और भी तमाम चीजे हैं उँगलियों पर पड़ना बेहतर है क्योंकि ये क़यामत के दिन जब लोगो को लाया जायेगा तो लोगो की जुबान पे ताला लग जायगा तो ये हाथ पैर गवाही देंगे और कहेंगे की मौला इसने ये काम किया है इसने ये उँगलियों से तेरा जिक्र किया था
नमाज़ के बाद सर पर हाथ रखकर क्या पड़ते हैं लोग
नमाज के बाद सलाम फेर के कुछ लोग जो सर पर हाथ रखकर पड़ते हैं बाज लोग पड़ते हैं या हफिजो या कुछ लोग पड़ते या कवियों कोई कुछ पड़ता है तो ये जो सलाम फेर के पड़ा जाता है ये सुन्नत नही है इसको अच्छे तरीके से समझ लें अगर कोई इसको सुन्नत समझ के करता है न तो वो समझ ले ये सुन्नत नही है कोई चीज जो सुन्नत न हो उसे सुन्नत समझकर करता है तो ये गलत है हाँ इसको जो लोग करते हैं बतौरे वजीफा करते है दिमाग की ताकत सर के दर्द के लिए पड़ते सुन्नत ये है की सलाम फेरने के बाद अल्लाहुम्मा अंतस सलाम वा मिन्कस सलाम पूरा पड़ना है और तीन मर्तबा अस्तग्फेरुल्लाह ये पड़ना सुन्नत है और भी सारी दुवायें हैं
हुजूर के नाम पर अन्घूठा चूमना कैसा है
अन्घूठा चूमने के बारे में बाज लोग है जो बहुत सिद्हत इख़्तियार कर लेते हैं बाज लोग जो हैं बिलकुल इसको ये कहते हैं की नही चूमना चाहिए जो चूम रहा है वो ये न समझे ये गलत है ठीक जो अन्घूठा चूम रहा है वो इसको ये न समझे की ये सुन्नत है जायज है चूम सकते हो मोहब्बत में हुजूर के नाम पर जो नही चूमते उसको ये न समझे की ये गलत कर रहा है सुन्नत छोड़ रहा है होता ये है की जो चूमने वाले है वो ये समझते हैं की जो नही चूम रहा है वो काफ़िर यानि जो अन्घूठा न चूमे वो काफ़िर बाज ऐसे है मतलब ये गलत है जैसा की अन्घूठा चूमने वली जो रिवायत है ऐसी ही एक रिवायत में मिलती है इसे बाज मुजद्दीन ने जईफ करार दिया है बैर हाल जो चूम रहा है वो चूमता रहे जो नही चूम रहा है वो भी गलत नही है लेकिन सुन्नत ये है आज के टाइम में जो चीज सुन्नत ने है उसे सुन्नत समझा जाने लगा है
नमाज में सलाम क्यू फेरते हैं
नमाज में सलाम इसलिए फेरते है जो दोनों कंधो में फरिस्ते बैठे होते है उनको सलाम किया जाता है
जुमा के दोनों खुत्बा के बीच में क्यू बैठते हैं
पहला खुत्बा जब ख़तम होता है दूसरा खुत्बा सुरु होने से पहले इस बीच में थोड़ी सी देर के लिए बैठते हैं उसमे तीन आयत पड़ी जाती है आयत पड़ने में जितना टाइम लगता है आप बैठ सकते है ये सुन्नत है इसमें क्या पड़ना चाहिए सूरेह इख्लास के बराबर कुराने मुकद्दस की कोई तीन आयत पड़ सकते है कम से कम इतना करना चाहिए और भी हमारे असहाबे इकराम सूरेह इख्लास पड़ते है कोई दरूद सरीफ पड़ लिया कोई कुछ दुआ पड़ लिया करते है दरूद सरीफ पड़ना चाहते हैं तो भी पड़ सकते है पहला खुत्बा और दूसरा खुत्बा के बीच बैठने में हिकमत क्या तो इसमें हिकमत ये है की दोनों खुत्बो में फर्क मालूम हो सके ये पहला खुत्बा है और ये दूसरा है जाहिर सी बात है अगर बैठे न जाये और पहला खुत्बा ख़तम किया जाये और फिर तुरंत दूसरा खुत्बा स्टार्ट कर दिया जाये बहुत सारे लोग को पता ही नही चलेगा की पहला खुत्बा कब हुआ और दूसरा खुत्बा सुरु कब हुआ तो इसे लिए दोनों खुत्बो के बीच थोड़ी देर के लिए बैठते है ताकि दोनों खुत्बों के दरमियान फर्क जाहिर हो जाये
ये दीनी मालूमात अपने दोस्तों यारो को जरूर भेजें...