YA ALI YA HUSSIAN RUK NA SAKEGA | REHAN ALI FIRDOSI | NOHA 2020/14442
या हुसैन या हुसैन
या हुसैन या हुसैन
या हुसैन या हुसैन
या हुसैन या हुसैन
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ये गम है मुस्तफा के नवासे हुसैन का
मौला ये कायनाथ के प्यारे हुसैन का
अघोषे फातेमा के ये पाले हुसैन का
सेहदीन के कर्बला के प्यासे हुसैन का
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इस गम का कायनाथ की हर श्य पे असर
है अब जर्रा जर्रा शाह का घम करता रहेगा
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या अली या हुसैन रुक्ना शकेगा हर हाल में
हुसैन का घुम होता रहेगा (x2)
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ये रुक नहीं सकता कभी हलाथ के आगे
ये है दुआए फातेमा ये चलता रहेगा
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या अली या हुसैन रुकना हर हाल में हुसैन का गम होता रहेगा (x2)
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घर घर में आज फरशे अजा है
हर दिल में या हुसैन बसा है
इस गम पे अपनी जान फिदा है
ये फातेमा जेहरा की दुआ है
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या अली या हुसैन रुक्ना शकेगा हर हाल में हुसैन का गम होता रहेगा (x2)
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ये मामुली वबा से भला कैसे रुकेगा
हाफिज है खुदा इस्का ये खुद बधा रहेगा
मिसले लाहो हमारी ये नासलोन में बसेगा
सदियों से चलता आया है था हस्र चलेगा
गोया ये मोमिनो के लिए धड़कने दिल है
याहि हमेश सदा देथा रहेगा
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या अली या हुसैन रुकना सकेगा हर हाल में हुसैन का गम होता रहेगा (x2)
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आदम ने भी मानया है शब्बीर तेरा गम
हर एक नबी की आंख हुई तेरे गम में नम
ये गम सभी गमो के लिए बंन गया मरहम
है आज भी ऊंचा गमें शब्बीर का परचम
दुनिया की हवाओ से कभी थम नहीं सकता
हर दौर में लेहराया है लहराथा रहेगा
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या अली या हुसैन रुक्ना शकेगा हर हाल में हुसैन का गम होता रहेगा (x2)
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घर घर में आज फरशे अजा है
हर दिल में या हुसैन बसा है
ये गम पे अपनी जान फिदा है
ये फातेमा जेहरा की दुआ है
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हर सिमथ हर जिहाथ में पहला हुआ है
ये कौनैन के हुडूद पे छाया हुआ है
ये अघोष में बच्चों को सिखाया हुआ है
ये पाकीज़ा हर क़ुलूब में दहला हुआ है
ये करबोबला के प्यासे शहीदों ये गम है
हर एक बशर गम में इनके रोता रहेगा
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या अली या हुसैन रुक्ना शकेगा हर हाल में हुसैन का गम होता रहेगा (x2)
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अर्शे उला से ये तेहतस सारा है गम
जिन्नाथ भी मनाथे हैं शब्बीर का आलम
करते हैं वादा आप से मौला हुसैन हम
कहते हुवे हुसैन निकल जाए अपना दम
दुनिया की साज़िशों से कभी रुक नहीं सकता
इस्का अजल से चर्चा है और चर्चा रहेगा
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या अली या हुसैन रुक्ना शकेगा हर हाल में हुसैन का गम होता रहेगा (x2)
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घर घर में आज फरशे आजा है
हर दिल में या हुसैन बसा है
इस गम पे अपनी जान फिदा है
ये फातेमा जेहरा की दुआ है
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दशते बला में जब सरे शब्बीर काटा है
तो इस आसमान से भी खून गिरा है
हर सिमथ हवाओ में तला तुम सा मचा है
दुबी गमे हुसैन में ये करबोबला है
करबोबला के गम से ही जीने का मजा है
गिर्या नहीं तो फिर कोई क्यूं जिंदा रहेगा
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या अली या हुसैन रुक्ना शकेगा हर हाल में हुसैन का गम होता रहेगा (x2)
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मरने के बाद सात तुम्हारे ये जयेगा
तुरबाह में भी हुसैन का गम काम आएगा
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बरज़ाक़ की मंज़िलों में सिला इस्का पायेगा
बेडा तुम्हारा पर यही गम लगायेगा
ये है गमें हुसैन इसे दिल से लगालो
था हशर तुमको इस्का सिला मिल्था रहेगा
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या अली या हुसैन रुक्ना शकेगा हर हाल में हुसैन का गम होता रहेगा (*2)
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घर घर में आज फरशे अजा है
हर दिल में या हुसैन बसा है
इस गम पे अपनी जान फिदा है
ये फातेमा जहरा की दुआ है
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इस साल कर्बला को ना ज़व्वर जसके
रोजे पे जाके अपनी न किस्मत जगा साखे
जाकर न कर्बला में सबीले लगा सखें
करबोबला में हाय न हम गम मन: साखे
अब हर दिले मोमिन में बसी करबोबला है
लबबैक या हुसैन की हर लप्पे सदा है
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लबबैक या हुसैन
लबबैक या हुसैन
लबबैक या हुसैन
लबबैक या हुसैन
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मोमिन की सदा या हुसैन
हम तुझे फिदा
या हुसैन
है दीन की बका
या हुसैन
देते हैं निदा
या हुसैन
कर हम पे अतः
या हुसैन
हो सब को शिफा
या हुसैन
हो खतम वबा
या हुसैन
करते हैं दुआ
या हुसैन
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रेहान भी डूबा है तेरे गम्मे या हुसैन
सबे बड़ा है या तेरा ऐ शाह मशरक़ैन:
सुंकर जो मासैब तेरे होजाता है
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बेचें देती है दुआ जौन उससे मदारे हुसैन
ये फातेमा जेहरा के जिगर घोषों का नोहा रेहान सदा पढ़ा है और पढा रहेगा
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या अली या हुसैन रुक्ना शकेगा हर हाल में हुसैन का गम होता रहेगा (x2)
या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन