रमजान के आखरी जुम्मा को ही अलविदा क्यू मनाते हैं

रमजान के आखरी जुम्मा को ही अलविदा क्यू मनाते हैं

रमजान के आखरी जुम्मा को ही अलविदा क्यू मनाते हैं.

दोस्तों जब रमज़ानुल मुबारक का महिना हमारे बीच से रुखसत होता है तो उसी बीच में जब आखरी जुम्मा आता है तो उसी को जमातुल विदा यानि अलविदा जुम्मा कहा जाता है अब सवाल ये है की जमातुल विदा यानि अलविदा जुमे की नमाज़ किस तरह अदा की जाती है और नियत कैसे करे तो दोस्तों मैं आपको बता देना चाहता हूँ कि जिस तरह हम हर हफ्ते जुम्मे की नमाज़ अदा करते है उसी तरह जुमातुल विदा यानि अलविदा जुमे की नमाज़ भी इसी तरह अदा की जाएगी दोस्तों जिस तरह हम जुमे की 14 रकात नमाज़ अदा करते है उसी तरह अलविदा जुम्मे की नमाज़ भी 14 रकात अदा की जाएगी और सेम उसी तरह नियत की जाएगी जिस तरह हम हर जुमे को करते हैं

अलविदा जुमे की नियत कैसे करें.

दोस्तों नियत आपको कुछ इस तरह करनी है [बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम (नियत की मैंने दो रेकात नमाज़ फर्ज वास्ते अल्लाह ताला के वक़्त जुमे का पीछे इस इमाम के मुह या रुख मेरा काबा शरीफ की तरफ अल्लाह हु अकबर)]

तो दोस्तों इसी तरह अलविदा जुमे की नमाज़ की नियत करनी है और उसके बाद 14 रकात नमाज़ हर जुमे की तरह अलविदा जुमे के दिन भी अदा करनी है इन्शाअल्लाह इसतरह आपकी नमाजे अलविदा हो जाएगी दोस्तों इस जुम्मे को अलविदा जुम्मा इसी लिए कहा जाता है क्यू की रमजान शरीफ का मुबारक व बरकत महिना हमसे रुखसत हो रहा है और ये उस मुबारक महीने का आखरी जुम्मा है इसीलिए इस मुबारक जुमे को अलविदा जुमा के नाम से जाना जाता है तो दोस्तों उम्मीद करता हु की आपलोग को मालूम हो गया होगा.

जुम्मा की 14 रकात.

4 सुन्नत 2 फ़र्ज़ 4+2 सुन्नत 2 नफ्ल

रोज़ा रखने की दुआ हिंदी में.

व् बि सोमि गदिन नवई तु मिन सहरि रमजान.

रोज़ा खोलने की दुआ हिंदी में.

अल्लाहुम्मा इन्नी लका सुम्तु व्-बिका आमन्तु व्-अलयका तवक्कलतू व्-अला रिज्किका अफ्तर्तु.(हे अल्लाह मैंने तुम्हारे लिए रोज़ा रखा और मुझे तुम विश्वास है और मैंने तुम पर अपना भरोसा रखा है).

Islamic Hak



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