इक हिन्दू शख्स का वाकिया कैसे मुसलमान बना...
सूर्यनारायण एक अमीर धराने में पैदा हुआ और हिन्दुओ की ग्र्ह्हो से तालूक रखता था जो सूरज की पूजा करते हैं बचपन गुजरा तो जवानी सुरु हुई बचपन की ही तरह उसकी जवानी भी निराली थी वो एक हमदर्द नौजवान था हर वक्त हर दम हर किसी के लिये मदद को तैयार रहता था मजहब को नही देखता था वो मोहल्ले के हर औरत को मौसी कहता था उनके काम करता जवानी से उसका मानना था की वह सुबह सवेरे सूरज निकलने से पहले मदरसे के कुएं पर आता पानी निकाल कर नहाता और फिर अपनी पीठ सूरज की तरफ करके अपने साये की गर्दन पर नजर गिराकर घंटो खड़ा रहता और सूरज की पूजा किया करता था न कभी मदरसे के मोलाना से राबता किया न उन्होंने कभी भी कुएं पर नहाने से मना किया और न ही मदरसे के कोने में इबादत करने से मना किया वक्त गुजरता गया और मोलाना साहब बूड़े हो गये अब सारा मदरसे का काम काज मोलाना साहब के बेटे हाथ में अ गया उधर सुर्येनारायण जो के यही हिन्दू था जिनके बारे में हम इस आर्टिकल को लिखा है वो भी उमर के आखरी छोर पर दाखिल हो चुके थे लेकिन मामलात में कोई तब्दीली नही आई और न कोई नागा था फिर एक दिन ये हुआ की आसमान पर बादल बने हुए थे और सूर्यनारायण नहा धोकर साफ और सुथरा होकर सूरज के निकलने का इन्तेजार करने लगा ताकि वो सूरज की पूजा कर सके लेकिन बादल आने की वजह से सूरज नजर नही आया पता नही तकदीर को सूर्यनारायण पर तरस आया खुद उनका दिल मुसलमान मोलवी को छेड़ने का दिल कर रहा था सूर्यनारायण मोलाना साहब के पास जाकर खड़े हो गए मोलाना साहब बाबुल के दरख़्त के मिस्वाक बना रहे थे सूर्यनारायण आके कहने लगा की न तो आपके बड़ो ने हमें मुसलमान बनाने की कोशिस की और न ही अब आप हमें जन्नत में भेजने की कोशिस करते हो सूर्यनारायण ने मजाकिया अंदाज में मोलाना साहब को छेड़ दिया मोलाना साहब ने सूर्यनारायण को पलट कर देखा और उनका हाथ पकडे पकडे अपने दफ्तर में ले गए मोलाना साहब फरमाने लगे की और फरमाइए की हमारे नसीब कैसे जागे आज आपने हमें वक्त कैसे डे दिया आपतो किसी की वक्त नही दे पाते सूर्यनारायण ने कहा की देखो भाई तुम मेरे बच्चो की जगह हो सूर्यनारायण ऐसा इसलिए कहाँ क्युकी मोलाना साहब के बेटे ने अब सारा काम काज सम्भाला था तो सूर्यनारायण ने इसीलिए मोलाना साहब से कहा की तुम मेरे बच्चे की तरह हो मुझे चकमा देने की कोशिस न करो सवाल पहले मैंने किया है जवाब सुनने का हक़ मेरा ही बनता है आखिर तुम सारी दुनिया को मुसलमान बनाते हुए बिस्तर उठये हुए फिरते हो भाई मैं उम्र पूरी करके चला हूँ मुझे किसी ने एक बार झूठे मुह भी नही बोला की मिया तुम भी मुसलमान बनना चाहते हो या नही मैंने सुना है की इस्लाम में आरोस पड़ोस में रहने वाले पड़ोसियों के बहुत खुक्क होते हैं चलो में भी पड़ोसियों का हुकुक ही दे देते सूर्यनारायण की बात ने मोलाना को बड़ा संजीदा कर दिया मोलाना साहब ने बड़े नरम लहजे से बोले सूर्यनारायण जी मेरे वालिद की जान निकलने से पहले ये उन्होंने ये वसीयत आपके लिए की थी वो फरमाते थे ये एक सूर्यनारायण नाम का जन्नती आदमी है इसमें सारी अद्दते अल्लाह की पसंददीदा है बस थोड़े कागजी काम बाकी है ये अन्दर से मुसलमान है अल्लाह की रहमत इसपर टूट पड़ने को तैयार है बस तुम उस लम्हे के लिए तैयार रहिये जब सूर्यनारायण में अल्लाह की मोहब्बत जागेगी उस वक्त उसे सँभालने वाला तुम्हारी जिम्मेदारी होगी मोलाना की बात सुनकर सूर्यनारायण हक्का बक्का रह गए और बोले की अच्छा मोलाना मरहूम बड़ी पहुची हुई हस्ती थे हमें खबर भी नही लगने दी और हमारे दिल के आरजू से बाखबर रहे खैर मोलाना ने पूछा सूर्यनारायण जी आप इबादत नही कर रहे हो यानि पूजा नही कर रहे हो तो सूर्यनारायण बोले की बेटा तुम्हे मालूम है की सूरज नजर न आये तो हमारी इबादत नही होती इसपर मोलाना बोले अच्छा सूर्या जी कभी आप आते हैं तो कभी सूरज नही आता तो कभी सूरज होता है तो आप बीमार पड़ जाते हो आज आप दोनों मौजूद है लेकिन एक दुसरे को देख नही सकते ये दरमियान में रुकावट qकिसने डाली है तो सूर्यनारायण ने कहा कि हाँ आज बादल ने मेरी पूजा में रुकावट डाली है पर मोलाना कहने लगे अच्छा सूरज जो है हलके फुल्के बादलों के सामने मजबूर हो गया या किसी और हस्ती से जोकि सूरज से ताकत वर है जिसने अपने हुक्म से एक रुकावट खड़ी कड़ी और सूरज आग उगलने के बावजूद मजबूर हो गया तो ये सुनकर सूर्यनारायण जी खामोस हो गए तो फिर मोलाना ने कहा अच्छा सुनिए नारायण जी ये तो बताइए कभी भी ऐसा हुआ है की आपने एक दिन पूजा नही की तो सूरज ने गुस्सा हो गए हो और अगले दिन फिर सूरज आने से इंकार करदिया हो या सूरज निकलने ही इंकार करदिया हो तो सूर्यनारायण ने कहा हेह ऐसा कैसे हो सकता है तो मोलाना ने सवाल किया ऐसा क्यू नही होता क्या सूरज देवता को गुस्सा नही आता क्या उसे आपके पूजा नही करने की खबर नही होती है और मोलाना ने नरमी से गुफ्तगु को जारी रखा इसपर सूर्यनारायण कहने लगे गुस्सा भी आता है और उसी गुस्से से पनाह के लिये हम उनके लिए उनकी पूजा करते हैं और उन्हें हमारे पूजा करने की खबर होती है मगर तो इतना कहने के बाद वो खामोस हो गए तो मोलाना ने कहा हा मगर क्या नारायण जी वो कहने लगे सूरज देवता मजबूर है वो तुलु हो वो अपनी मर्जी से उग नही सकते फिर मोलाना बोले महराज अगर देवता भी मजबूर होंते हैं तो फिर हमारी मजबूरियाँ कैसे दूर करेंगे एक मजबूर दुसरे मजबूर की क्या मदद कर सकता है क्यों न उसे मजबूर करने वाले से बात करे जो उसे तुलु और गुरूर करता है और बाकी बादल को भेज कर उसकी किड़रो को लपेट देता है सूर्यनारायण जी छुप रहे मोलाना जी बात को जारी रखते हुए कहा सूर्यनारायण जी आपके पास छुट्टी करने का इरादा और इख़्तियार है मगर सूर्य को न तो छुट्टी का इरादा है और न ही उसके पास कोई इख़्तियार है सूर्यनारायण जी क्या आपको पता है इसी इरादे और इख्तियार की बुनियाद पर ये सब सारी कायनात और उसके साथ साथ सम्भालने वाले उसके निजाम को चलाने वाले मलाईका को कहा गया के आदम को सजदा करो उसके बनाई को तस्लीम करो आज कायनात में खालिक ने पहली शाहिबे इरादा और साहिबे इख़्तियार वाली मखलूक को पैदा किया है यानि बनाया है अल्लाह के बाद इरादे के मालिक एक हस्ती बनाई गई और पूरी कायनात और फरिस्ते को उसके कदमो में डाल दिया जिस आदम की औलाद में से आप भी हैं और मैं भी हूँ अपने आजतक कुछ इरादे को इस्तेमाल नही फ़रमाया अपने सर्फ़ को इस्तेमाल नही किया इसे वैसे का वैसा ही अपने रब के पास लेकर जाओगे और फिर उसको क्या मुह दिखाओगे उस सजदे की कीमत तो चुका देते जाओ जो इख़्तियार के सदके फरिस्तों से करवाए थे सूर्या जी हक्का बक्का मोलाना की बात सुनते रहे मोलाना पर जलालो जमाल का गलवा था कभी जलाल आता तो कभी जमाल लगता था उन्होंने अपने बुजुर्गो की बात खूब पल्ले बांध ली ती मोलाना ने फिर कहा कि सूर्यनारायण जी आप बहुत नेक इंसान हो हम सबने आपको बचपन से देखा होगा सायद हम मुसलमानों में भी आप जैसा हमदर्द सखी और नेक इंसान मौजूद नही है मगर सूर्यनारायण जी कागजी करवाई करनी पड़ेगी दिल की दरवाजे का ताला अन्दर से खुलता है अल्लाह ने सुन्नत बना रख्खी है उसने नबियों के बाप बेटियों और बीबियों को भी हिदायत नही दी जबतक की उन्होंने दिल का दरवाजा खुद नही खोला किसी के अन्दर बगैर इजाजत क्र जाने से अल्लाहताला ने मना फ़रमाया है उसका हुक्म है की उसी के घर में जाओ जिस घर में घर का मालिक तुम्हे मुहब्बत से बुलाये फिर वो आपके बगैर बुलाये कैसे आ सकता है उसकी रहमत का समंदर आपकी चारपाई के इर्द गिर्द चक्कर काटता रहता है सूर्यनारायण जी जरा दिल की खिड़की खोल कर देखो फिर वो कैसे अंदर आता है सूर्यनारायण जी चलने लगे तो ऐसा लग रहा था कि वो जमीन पर नही पानी पर चल रहे थे जमीन उनके पैरो के निचे से खिसक गई थी वो रात कयामत की तरह रात थी दिल में तूफान पैदा हो गया था रहमत की छड़ी सुरु हो गई सूर्यनारायण जी सारी रात रो रो कर माफिया मांग रहे थे डर रहे थे की सुबह से पहले कही वो मर न जाये कही कागजी कारवाई अधूरी न रह जाये उन्होंने अपनी सारी नेकिया के बदले अल्लाहताला से सुबह तक जीने की दुआ मांगी आज उन्हें जिंदगी की मुकद्दर का पता चला सुबह अभी मदरसा खुलने का वक्त अभी नही हुआ था की सूर्यनारायण जी मोलाना के दरवाजे पर दस्तक दे रहे थे दरवाजा मोलाना ने खुद खोला सूर्यनारायण जी की कह्फियत से लगता था जैसे उनका पूरा वजूद बोल रहा हो मगर जुबान खामोस हो गई मोलाना साहब ने उनका हाथ पकड़ा और अपनी बैठक में ले गए सूर्यनारायण जी को चारपाई पर बैठा कर उनके कदमो में बैठ गए और फरमाने लगे सूर्यनारायण जी आप कुछ मत बोलिए जुबान को बंद रहने दीजिये आज अल्लाह आपके वजूद को खुद सुन रहा है वो आपकी दावत को कबूल करके आपके दिल में आ चुका है सूर्यनारायण मै उसी के अहतराम में आपके कदमो में बैठा हूँ जारो कतार रोते सूर्यनारायण जी को मोलाना ने खूब रोने दिया वो जानते थे की नया मुसलमान होने वाला सख्स नए पैदा होने वाले बच्चे की तरह रोता हैं और ये सेहत की अलामत है और जान की अलामत है फिर मोलाना साहब ने अपने साथ नास्ता करवाया और मदरसे की तरफ तमाम लोगों के सामने इस्लाम क़ुबूल करवाया गया उनका नाम अब्दुल्लाह रखा गया और इस्लाम क़ुबूल करने के ठीक 10 दिन बाद उनका इंतेकाल हो गया मोलाना साहब कहते हैं अब्दुल्लाह के जनाजे पर लगता था की एक हुजुम उमड़ पड़ा है एक तो वो बहुत नेक इंसान थे और हर एक के काम आने वाले थे और उनकी चारपाई को कन्धा देने लोग टूट पड़े जनाजे में एलान हुआ की जनाजे में ताखीर की जाये कोई हिन्दू भी मुसलमान होकर जनाजा में सामिल होना चाहता है तो ऐसा करके सारे लोग कलमा पड़के मुसलमान हो गए|
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